हम जब बडे हो जाते है तो अपना बचपन भूल जाते है। पर बचपन की यादे आजभी हमारे चेहेरेपे मुस्कान ले आती है। क्योंकि जो खेल, मस्ती हम बचपन मे करते थे वो आजभी हमे ताज़ा करती है। आज भी हमे वो खेलोंसे लगाव है जो हम बचपन मे खेला करते थे। चलो देखते है हमारा बचपन इस व्हिडीयोमे...
https://www.youtube.com/watch?v=Oxc4ZFoNfo8
यही खिलखिलाते चेहरे हम देखतेहै आत्मबलमे जब परमपूज्य नंदाई ’घरके अंदर खेलेजानेवाले खेल’ लेती है। सभी सखियॊं का बचपन लौट आता है। वे पूरी तरह से खिल जाती है।
लेकिन आत्मबल कोर्स खत्म हो जाने के बाद भी हमे ये खेल खेलने चाहिये। हम सबके लिये हमारे परमपूज्य बापूने "अनिरुदाज इन्स्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स ऍन्ड बोन्साय स्पोर्ट्स" की स्थापना की है। खेल खेलनेसे हम और भी तंदुरुस्त हो जाते है। मनसे भी और शरीरसे भी। चलो अब हम सब "अनिरुदाज इन्स्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स ऍन्ड बोन्साय स्पोर्ट्स" के ब्लॉगको व्हिजिट करते है।
http://aniruddhabapu-bonsaisports.blogspot.in/search/label/Video%20Gallery
हम अपना बचपन तो नही लौटा सकते लेकिन बचपनके खेल जरूर खेल सकते है।
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