परम पूज्य आई के आशीर्वाद से मैं केसरीवीरा कुकयान बहुत भाग्यशाली थी कि मुझे 2006-07 में आत्मबल कक्षा के 9 वें बैच में सहभागी होने का सुअवसर मिला. वे पूरे छ: महीने के दौरान जो कक्षाएँ संचालित की गई थीं, वे अपने आप में एक स्वर्णिम अनुभव था. उस अवधि के दौरान अनुभव किए गए प्रेरणास्पद क्षण आज भी सजीव हो उठते हैं. प्रेम की प्रतीक परम पूज्य आई हमारी मार्गदर्शक थीं और आत्मबल कक्षा की यादें मेरे जीवन के वे अनमोल क्षण हैं जो मेरे हृदय में सदैव अंकित रहेंगे.
पब्लिक स्पीकिंग का आत्मविश्वास मुझे आत्मबल कक्षा से ही मिला. इससे मुझे स्टेज के डर पर काबू पाने में सहायता मिली. हर कार्य के प्रति मेरा दृष्टिकोण ही बदल गया और मेरी सोच सकारात्मक हो गई. मैंने साधारण घरेलू काम-काज से लेकर ऑफिस के बड़े प्रोजेक्ट्स को भी सुनियोजित तरीके से और आत्मविश्वास से करना सीख लिया. मैंने ‘बेकार’ को ‘सर्वश्रेष्ठ’ में बदलना सीख लिया. इस कक्षा ने समस्याओं से निपटने का मेरा दृष्टिकोण ही बदल दिया. अब, मैं उन्हें सकारात्मक रूप में लेती हूँ. यह कक्षा स्वयं में एक प्रबंधन कार्यक्रम थी. अंत में, इतना ही कि इससे ज़िंदगी की दिशा ही बदल गई है.
पब्लिक स्पीकिंग का आत्मविश्वास मुझे आत्मबल कक्षा से ही मिला. इससे मुझे स्टेज के डर पर काबू पाने में सहायता मिली. हर कार्य के प्रति मेरा दृष्टिकोण ही बदल गया और मेरी सोच सकारात्मक हो गई. मैंने साधारण घरेलू काम-काज से लेकर ऑफिस के बड़े प्रोजेक्ट्स को भी सुनियोजित तरीके से और आत्मविश्वास से करना सीख लिया. मैंने ‘बेकार’ को ‘सर्वश्रेष्ठ’ में बदलना सीख लिया. इस कक्षा ने समस्याओं से निपटने का मेरा दृष्टिकोण ही बदल दिया. अब, मैं उन्हें सकारात्मक रूप में लेती हूँ. यह कक्षा स्वयं में एक प्रबंधन कार्यक्रम थी. अंत में, इतना ही कि इससे ज़िंदगी की दिशा ही बदल गई है.
-केसरीवीरा कुकयान
गोरेगाव
[आत्मबल २००६]
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