आत्मबल क्यों? किस लिये?
आज हम ‘आत्मबल-आतंरिक शक्ति’ नामक ब्लॉग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। इस ब्लॉग के जरिये 'आत्मबल' नाम के उपक्रम की जानकारी और उससे जुडी हुई जानकारी पेश की जायेगी। यह उपक्रम डॉ. नंदा अनिरुद्ध जोशी (इनके संपर्क में आनेवालीं महिलाएं प्राय: इन्हें प्रेम से 'नंदाई' कहकर बुलाती हैं) के द्वारा संचालित किया जा रहा उपक्रम है और 'श्री साई समर्थ विज्ञान प्रबोधिनी' नामक संस्था के साथ वे इसका आयोजन करती हैं। सन २०१४ में 'आत्मबल' उपक्रम ने १४ साल पूरे किये और १५वे साल में प्रवेश किया है।
'आत्मबल' नाम में ही सबकुछ है।
'आत्मबल' का अर्थ है महिलाओं में अंतर्निहित आंतरिक शक्ति - ऐसी शक्ति जो हर नारी में होती तो है, परंतु हर नारी को इसे महसूस करना पड़ता है, ऐसी शक्ति जिससे परिचित होने के लिए कभी कभी उसे प्रयास करने पड़ते हैं, ऐसी शक्ति जो उसके भीतर, मन की गहराई में छुपी हुई होती है और यह प्रयास शुरू करने के बाद धीरे धीरे वह उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है और कुछ अरसे बाद वह शक्ति उसका व्यक्तित्व ही बन जाती है।
.......... क्योंकि आत्मबलविकास यह किसी भी बाहरी उपायों से नहीं, बल्कि भीतर से ही हो सकता है, यह हमारा दृढ विश्वास है।
..........और इसीलिए यह ब्लॉग है, 'नंदाई के द्वारा हर महिला के लिए आगे बढ़ाया हुआ प्रेम और मित्रता का हाथ.……हर उस महिला को स्वयं से परिचित कराने हेतु जो प्रयास किए जा रहे हैं, उन प्रयासों की आनंदयात्रा में उसे शामिल कराने के लिए यह एक पुकार है। नारी को जब अपनी क्षमताओं का पता चलता है तब उस में आत्मविश्वास और उत्साह जाग जाते हैं और अब जीवन को देखने की उसकी दृष्टि ही बदल चुकी होती है.………इसलिए अब उसका जीवन ही बदल जाता है।
…क्योंकि बदलाव अंदररूनी ही होना चाहिए।
महिला, चाहे वह बेटी, पत्नी या माँ किसी भी भूमिका में हो - उसका महत्त्वपूर्ण योगदान पारिवारिक तानाबाना मजबूत करने में, बच्चों का व्यक्तित्व निखारने में अर्थात एक सशक्त समाज बनाने में होता है। परंतु इसके लिए वास्तव में उसे अपनी शक्ति की, सकारात्मकता की और प्रेम का आदानप्रदान करने की क्षमता का एहसास होना चाहिए। .......... क्योंकि आप वही दे सकते हो जो आप के पास है।
तो यह ‘आत्मबल’ course है क्या ?
ऊपरोक्त सभी बातों का विचार करके ही डॉ. नंदा अनिरुद्ध जोशी ने बड़ी मेहनत से यह कोर्स डिज़ाइन किया है। प्रति सप्ताह एक सत्र इस तरह ६ महीनों तक यह कोर्स चलता है।
किसी भी विषय के लिए विशिष्ट नाटिका, चर्चासत्र, प्रोजेक्ट्स और अन्य प्रस्तुतीकरण आदि बातें इस कोर्स का भाग होती हैं, जिसके अध्ययन से एक तरफ इस कोर्स की छात्राएं बाहरी विश्व के संपर्क में आती हैं, तो दूसरी तरफ उनका स्वयं से संवाद भी होने लगता है। हर वर्ष भले ही इस कोर्स का बुनियादी स्वरूप एक सा ही प्रतीत होता हो, मगर फिर भी हर वर्ष की थीम ताज़ा मुद्दों पर आधारित भिन्न भिन्न होती है।
सुनियोजित जीवनप्रणाली हमेशा सुखदाई एवं उचित होने की वजह से इस कोर्स में अन्य कुशलताओं के साथ साथ समय का सही उपयोग (टाइम मैनेजमेंट) करने की कला, जिस में घर तथा ऑफिस दोनों का समन्वय करने में महिला को जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती है, उस में संतुलन बनाए रखने में, एक ही समय में हो सकनेवाले कई कार्य सुचारू रूप से कैसे किए जाएं (मल्टीटास्किंग) इस बारे में विशेष मार्गदर्शन किया जाता है।
आज के दौर में हर तरफ व्यवहारिक स्तर पर तथा व्यक्तिगत स्तर पर सबसे ज्यादा प्रचलित अंग्रेजी भाषा के असाधारण स्थान को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी में बातचीत करना संभव हो सके यह केवल समय की मांग नहीं है, बल्कि एक जरूरी हुनर माना जाता है। अंग्रेजी में प्रवाही रूप से बातचीत कर सकने से आत्मविश्वास बढ़ता है। इस बात को ध्यान में रखकर इस कोर्स में अंग्रेजी में बातचीत करने पर जोर दिया जाता है। जिन महिलाओं का अंग्रेजी से कभी पाला नहीं पड़ा हो उनके लिए बालबोध बातचीत से शुरुआत की जाती है। तो जिन महिलाओं को अंग्रेजी की जानकारी है, पर बोलने की आदत नहीं होती, उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाता है।
कोर्स की संपन्नता में एक शाम को गीत, संगीत एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस कार्यक्रम में इस कोर्स की सभी छात्राएं - उम्र, व्यवसाय आदि चाहे कुछ भी हो- भाग लेती हैं। इसका उद्देश्य यही होता है, छात्राओं के मन में छिपे न्यूनगंड (इन्फिरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स ) और स्टेज फियर दूर करना।
डॉ. नंदा अनिरुद्ध जोशी स्वयं निजी रूप से प्रत्येक सत्र का संचालन करती हैं और हर वर्ष के कोर्स का पाठ्यक्रम बनाने में भी उनकी सक्रिय भूमिका होती है। इतना ही नहीं बल्कि, हर वर्ष के कोर्स के अंत में जो कार्यक्रम पेश किया जाता है, उस में प्रस्तुत होनेवाली नाटिकाएं और अन्य बातों का वे ही निर्देशन करती हैं।
इस कोर्स की प्रवेशप्रक्रिया बहुत आसान है। केवल एक फॉर्म भरना होता है और तत्पश्चात हर इच्छुक छात्रा को व्यक्तिगत रूप से बुलाने के बाद ही उस वर्ष की बैच का चयन किया जाता है।
'आत्मबल' कोई महिला-मुक्ति आंदोलन नहीं है.……बिलकुल भी नहीं है। बल्कि महिला और उसके परिजनों को और रिश्तेदारों को ख़ुशी मिले और उसके व्यक्तित्व का विकास हो, इस हेतु के लिए ही 'आत्मबल' है।
यहाँ पर महिलाएं 'स्व' की खोज करने की यात्रा की शुरुआत करती हैं और वह खोज तो जीवन भर चलती रहती है..........अब 'आत्मबल' उसके साथ और उसके अंतरंग में छा जाने की वजह से यह यात्रा हर कदम पर अधिकाधिक सुहानी होती जाती है।
……क्योंकि, 'आत्मबल' का अर्थ है जीवन की ओर, जग की ओर तथा खुद अपनी ओर देखने का सही दृष्टिकोण।
'आत्मबल' में शामिल होनेवाली सभी महिलाओं में अपनापन निर्माण होता है - स्वयं अपने साथ और अन्य छात्राओं के साथ भी। पर अपने हाथ में दूसरी का हाथ थामकर कितनी भी बड़ी जंजीर क्यों न बन जाए फिर भी अंतिम महिला का एक हाथ खुला होता है - और एक सहेली का हाथ थामने के लिए !
चलिए तो फिर, हाथों में हाथ लिये.………सद्गुरु और हमारी शक्ति का प्रमुख स्रोत बड़ी माँ (महिषासुरमर्दिनी) का हम पर जो प्रेम है, उसका निरंतर एहसास रखते हुए उनके प्रति कृतज्ञ रहें - अंबज्ञ रहें।
ll हरि ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञll